शेर-ओ-शायरी

             फैज़ अहमद फैज़ (Faiz Ahmad Faiz)  Next >>

आते-आते आयेगा उनको खयाल,
 जाते - जाते बेखयाली जायेगी।

.बेखयाली -
बेखुदी, बेखबरी

 
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आदमियों से भरी है यह सारी दुनिया मगर,
 आदमी को आदमी होता नहीं है दस्तयाब ।

 1.दस्तयाब - उपलब्ध, प्राप्त

 

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 आये तो यूँ कि जैसे हमेशा थे मेहरबाँ,
 
भूले तो यूँ कि जैसे कभी आश्ना न थे।
 


 1.
आश्ना - (i) मित्र, दोस्त (ii) परिचित, जानकार, वाकिफ

 

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इक तर्जे-तगाफुल है सो वह उनको मुबारक,
 
इक अर्जे-तमन्ना है, सो हम करते रहेंगे।

 1.
तर्जे-तगाफुल - उपेक्षा या बेतवज्जुही की आदत या स्वभाव

2.अर्जे-तमन्ना - ख्वाहिश या आरजू की अभिव्यक्ति



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