अपना गम किस तरह से बयान करूँ,
आग लग जायेगी इस जमाने में।
*****
अब तुमसे रूखसत होता हूँ, लो संभालो यह साज,
नये तराने छोड़ो कि मेरे नग्मों को नींद आती है।
*****
आज
कैसी हवा चली ऐ
'फिराक',
आख
बेइख्तियार भर आई।
*****
इस
दौर में जिन्दगी बशर की,
बीमार
की रात हो गयी है।
1.बशर
-
मनुष्य,
मानव,
आदमी
*****
1 - 2 - 3 - 4 - 5 - 6 - 7 - 8 - 9 - 10 - 11 - 12 - 13 - 14 - 15 - 16 Next >>