शेर-ओ-शायरी

Welcome to Sher O Shayari

इश्क क्या चीज है यह पूछिए परवाने से
(मुहब्बत)

अपने मरने का गम नहीं लेकिन,
हाय तुमसे जुदाई होती है।

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अगर खो गया इक निशेमन तो क्या गम?
(उम्मीद)

'अख्तर' यह गम के दिन भी गुजर जायेंगे यूं ही,
जैसे वह राहतों के जमाने गुजर गए।

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आप जिनके करीब होते है, वो बड़े खुशनसीब होते हैं
(हुस्न)

अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वह,
और यह भी देखते हैं, कोई देखता नहीं।

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तूफां से खेलना अगर इन्सान सीख ले
(हौसला)

कनारों से मुझे ऐ नाखुदा तुम दूर ही रखना,
तहाँ लेकर चलो तूफां जहाँ से उठने वाला है।

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कुछ खार काम तो कर गए गुजरे जिधर से हम
(इन्सानियत)

अंधेरे माँगने आये थे रौशनी की भीख,
हम अपना घर न जलाते तो क्या करते?

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न इतराइए देर लगती है क्या जमाने को करवट बदलते हुए,
(वक्त)

अब तो इतनी भी नहीं मिलती मैखाने2 में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने3 में।

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जिन्दगी और ये तमन्नाएं, जल रहा है चराग पानी में
(रंजो-गम)

बहाना मिल न जाये बिजलियों को टूट पड़ने का,
कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते।

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कभी गुलशन में रहते थे, कफस में अब गुजरती है
(तकदीर)

फूल बनने की खुशी में मुस्कुराई थी कली,
क्या खबर थी यह तबस्सुम मौत का पैगाम है।

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जिन्दगी जिन्दादिली का नाम है
(जिन्दादिली)

इन्हीं गम की घटाओं से खुशी का चाँद निकलेगा,
अंधेरी रात के पर्दों में दिन की रौशनी भी है।

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आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक
(बेवफाई)

अगर मुझसे टूटा है पैमाने-उल्फत1,
तुम्हारी नजर क्यों झुकी जा रही है।

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जिन्दगी कुछ ख्वाब है, कुछ अस्ल है, कुछ तर्जे-अदा है
(जिन्दगानी)

फलक11देता है जिसको ऐसा उसको गम भी देता है,
जहाँ बजते हैं नक्कारे, वहीं मातम भी होते हैं।

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बदलता है रंग आसमाँ कैसे-कैसे
(गैर-इंसानियत  )

घर में मिलेंगे उतने ही छोटे कदों के लोग,
दरवाजे जिस मकान के जितने बुलंद हैं।

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मैकशी

गिन-गिन के जिसने जाम पिए उसने कुछ न पी,
पीना उसी का है जो पिए बेखुदी के साथ।

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