इश्क क्या चीज है यह पूछिए परवाने से
(मुहब्बत)
अपने मरने का गम नहीं लेकिन,
हाय तुमसे जुदाई होती है।
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अगर खो गया इक
निशेमन तो क्या गम?
(उम्मीद)
'अख्तर' यह गम के दिन भी गुजर जायेंगे यूं ही,
जैसे वह राहतों के जमाने गुजर गए।
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आप जिनके करीब होते है, वो बड़े
खुशनसीब होते हैं
(हुस्न)
अन्दाज अपना देखते हैं आइने में वह,
और यह भी देखते हैं, कोई देखता नहीं।
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तूफां से खेलना अगर इन्सान सीख
ले
(हौसला)
कनारों से मुझे ऐ नाखुदा तुम दूर ही रखना,
तहाँ लेकर चलो तूफां जहाँ से उठने वाला है।
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कुछ खार काम तो कर गए गुजरे
जिधर से हम
(इन्सानियत)
अंधेरे माँगने आये थे रौशनी की
भीख,
हम अपना घर न जलाते तो क्या करते?
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न इतराइए देर
लगती है क्या जमाने को करवट बदलते हुए,
(वक्त)
अब तो इतनी भी नहीं मिलती मैखाने2
में,
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने3 में।
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जिन्दगी और ये
तमन्नाएं, जल रहा है चराग पानी में
(रंजो-गम)
बहाना मिल न जाये बिजलियों को टूट
पड़ने का,
कलेजा काँपता है आशियाँ को आशियाँ कहते।
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कभी गुलशन में
रहते थे, कफस में अब गुजरती है
(तकदीर)
फूल बनने की खुशी में मुस्कुराई
थी कली,
क्या खबर थी यह तबस्सुम मौत का पैगाम है।
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जिन्दगी
जिन्दादिली का नाम है
(जिन्दादिली)
इन्हीं गम की घटाओं से खुशी का
चाँद निकलेगा,
अंधेरी रात के पर्दों में दिन की रौशनी भी है।
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आह को चाहिए इक
उम्र असर होने तक
(बेवफाई)
अगर मुझसे टूटा है पैमाने-उल्फत1,
तुम्हारी नजर क्यों झुकी जा रही है।
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जिन्दगी कुछ
ख्वाब है, कुछ अस्ल है, कुछ तर्जे-अदा है
(जिन्दगानी)
फलक11देता है जिसको ऐसा उसको गम भी
देता है,
जहाँ बजते हैं नक्कारे, वहीं मातम भी होते हैं।
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बदलता है रंग
आसमाँ कैसे-कैसे
(गैर-इंसानियत )
घर में मिलेंगे उतने ही छोटे कदों
के लोग,
दरवाजे जिस मकान के जितने बुलंद हैं।
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गिन-गिन के जिसने जाम पिए उसने
कुछ न पी,
पीना उसी का है जो पिए बेखुदी के साथ।