आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता
हूँ मै,
जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ मैं।
-जिगर मुरादाबादी
1. शै
- चीज
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कारगाहे -हयात में ऐ दोस्त यह हकीकत मुझे
नजर आई,
हर उजाले में तीरगी देखी, हर अंधेरे में रौशनी पाई।
-'जिगर' मुरादाबादी
1. कारगाहे
- कार्यालय, कार्य करने का स्थान 2. तीरगी
- अंधेरा, अँधियारा।
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अब क्या जवाब दूँ मैं, कोई मुझे बताये,
वह मुझसे कह रहे हैं, क्यों मेरी आर्जू की।
-जिगर मुरादाबादी
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उन्हें सआदते-मंजिल-रसी नसीब क्या होगी,
वह पाँव जो राहे-तलब में डगमगा न सके।
-जिगर मुरादाबादी
1. सआदते
- प्रताप, तेज, इकबाल 2. रसी -
मंजिल की प्राप्ति, मंजिल तक पहुंच 3. राहे-तलब
- रास्ते की खोज