शेर-ओ-शायरी

जिगर मुरादाबादी (Jigar Moradabadi)

आ कि तुझ बिन इस तरह ऐ दोस्त घबराता हूँ मै,
जैसे हर शै में किसी शै की कमी पाता हूँ मैं।

-जिगर मुरादाबादी


1. शै - चीज

 
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कारगाहे -हयात में ऐ दोस्त यह हकीकत मुझे नजर आई,
हर उजाले में तीरगी देखी, हर अंधेरे में रौशनी पाई।

-'जिगर' मुरादाबादी


1. कारगाहे - कार्यालय, कार्य करने का स्थान 2. तीरगी - अंधेरा, अँधियारा।


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अब क्या जवाब दूँ मैं, कोई मुझे बताये,
वह मुझसे कह रहे हैं, क्यों मेरी आर्जू की।

-जिगर मुरादाबादी


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उन्हें सआदते-मंजिल-रसी नसीब क्या होगी,
वह पाँव जो राहे-तलब में डगमगा न सके।

-जिगर मुरादाबादी


1. सआदते - प्रताप, तेज, इकबाल 2. रसी - मंजिल की प्राप्ति, मंजिल तक पहुंच 3. राहे-तलब - रास्ते की खोज