शेर-ओ-शायरी

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अब तक खबर न थी मुझे उजड़े हुए घर की,
तुम आये तो घर बेसरो - सामां नजर आया।

-जोश मलीहाबादी


1.बेसरो–सामां- जिंदगी के जरूरी सामान के बगैर

 

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असीर करके हमें क्यों रिहा किया सैयाद,
वो हमसफीर भी छूटे, वो बाग भी न मिला।

-'जलाल' लखनवी


1. असीर – बंदी, कैदी, कारावा
सी 2. सैयाद - बहेलिया, चिड़ीमार 3. हमसफीर - (i) बाग में साथ चहचहाने वाली चिड़ियाँ  (ii) मित्र, दोस्त

 

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इक संभलते हम नजर आते नहीं,
वर्ना गिर-गिर कर गये लाखों संभल।

-'ख्वाजा' हाली

 

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इक दिन की बात हो तो उसे भूल जायें हम,
नाजिल हों दिल पै रोज बलायें तो क्या करें।

-'अख्तर' शीरानी


1. नाजिल - ऊपर से नीचे आने वाला, उतरने वाला, उतरा हुआ, आया हुआ

 

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