शेर-ओ-शायरी

चकबस्त लखनवी (Chakbast Lakhnavi)  Next >>

इस जमीं पै जिन्का था दबदबा कि बुलंद अर्श पै नाम था,
 
उन्हें यूँ फलक ने मिटा दिया कि मजार तक का निशां नहीं।

 1.
दबदबा - (i) रोबदाब, प्रताप, तेज, प्रभाव (ii) आतंक 2.बुलंद - ऊँचा

3.अर्श - आकाश, फलक, आसमान 4. फलक - आकाश, गगन, अंबर, ब्योम
 

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उलझ पड़ूँ किसी के दामन से वह खार नहीं,
 
वह फूल हूँ जो किसी के गले का हार नहीं।
 

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 कमाले-बुजदिली है पस्त होना अपनी नजरों में,
 
अगर थोड़ी-सी हिम्मत हो तो फिर क्या हो नहीं सकता।

 1.
कमालेबुजदिली - अव्वल दर्जे की नासमझी या डरपोकपन, नादानी की चरमसीमा 2. पस्त - नीचा, हीन, छोटा
 

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कौम का गम लेकर दिल का यह आलम हुआ,
 
याद भी आती नहीं, अपनी परीशानी मुझे।
 

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