इस जमीं पै जिन्का था दबदबा कि बुलंद अर्श पै नाम था,
उन्हें
यूँ फलक ने मिटा दिया कि मजार तक का निशां नहीं।
1.दबदबा
-
(i)
रोबदाब,
प्रताप,
तेज,
प्रभाव (ii)
आतंक
2.बुलंद
-
ऊँचा
3.अर्श
-
आकाश,
फलक,
आसमान
4.
फलक -
आकाश,
गगन,
अंबर,
ब्योम
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उलझ
पड़ूँ किसी के दामन से वह खार नहीं,
वह
फूल हूँ जो किसी के गले का हार नहीं।
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कमाले-बुजदिली है पस्त होना अपनी नजरों में,
अगर थोड़ी-सी हिम्मत हो तो फिर क्या हो नहीं सकता।
1.
कमाले–बुजदिली
-
अव्वल
दर्जे की नासमझी या डरपोकपन,
नादानी की चरमसीमा
2.
पस्त -
नीचा,
हीन,
छोटा
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कौम का गम लेकर दिल का यह आलम हुआ,
याद भी आती नहीं,
अपनी परीशानी मुझे।
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