अब इससे क्या गरज
कि रहबर खुदगरज निकला,
पराई आस जो तकते है, अक्सर ख्वार होते हैं।
-जोश मल्सियानी
1.रहबर-रास्ता दिखाने वाला, पथप्रदर्शक
2.खुदगरज-केवल अपना स्वार्थ
सिद्ध करने वाला,स्वार्थी, खुदमत्लब, स्वार्थपर
3ख्वार-अपमानित, तिरस्कृत, जलील
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अभी इनसे क्या
अर्जे - मतलब करें,
अभी चार दिन की मुलाकात है।
-अब्दुल हमीद अदम
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आज आलम में है
सन्नाटा तो है मेरी तलाश,
कल इसी दुनिया को शिकायत थी मेरी फरियाद से।
1.आलम - संसार, दुनिया
2.फरियाद- सहायता के लिए पुकार, दुहाई,
शिकायत, आर्तनाद, दुख की आवाज
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'इकबाल' कोई महरम
अपना नहीं जहां में,
मालूम क्या किसी को दर्दे – निहाँ हमारा।
-मोहम्मद इकबाल
1.महरम - मित्र, दोस्त, राजदार
2.दर्दे–निहाँ- छुपा हुआ दर्द
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