शेर-ओ-शायरी

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 'फिराक' अब अहले-दुनिया से विदा-ए-आखिरी लेले,
वह देखो शायराने-रफ्त इस्तिकबाल को आये।
-फिराक गोरखपुरी


1.अहले-दुनिया - दुनियावालों से

2. शायराने-रफ्त - शायर जो दुनिया से जा चुके हैं

3.इस्तिकबाल - स्वागत

 

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अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख्वाबों में मिलें,
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें।

-फराज अहमद


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अब तो चलते हैं बुतकदे से ऐ 'मीर',
फिर मिलेंगे गर खुदा लाया।
-मीरतकी मीर


1.बुतकदा - मंदिर, मूर्तिगृह, बुतखाना

 

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आये हो कल और आज ही कहते हो कि जाऊं,
माना कि हमेशा नहीं अच्छा, कोई दिन और।
जाते हुए कहते हो कयामत को मिलेंगे,
क्या खूब, कयामत का है गोया कोई दिनऔर।
-मिर्जा गालिब

1.कयामत - महाप्रलय, सारी दुनिया का उलट-पुलट, हश्र का दिन

 2.गोया - मानो, जैसे

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