शेर-ओ-शायरी

<< Previous  रंज-ओ-ग़म  (Sorrows and sufferings)

Next>> 

लगता नहीं है दिल मेरा उजड़े दयार में,
किसकी बनी है आलमे-नापाइदार में।
कह दो इन हसरतों को कहीं और जा बसें,
इतनी जगह कहाँ है दिले-दागदार में।
उम्रे-दराज माँगकर लाये थे चार -दिन,
दो आरजू में कट गये, दो इन्तिजार में।
कितना है बदनसीब 'जफर' दफ्न के लिये,
दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।

-बहादुरशाह 'जफर'


1.दयार - स्थान, जगह 2. आलमे-नापाइदार -नश्वर दुनिया, मृत्यु लोक हसरत 3.- (i) अभिलाषा, मनोकामना, आकांक्षा (ii) निराशा, नाउम्मेदी

4. दिले-दागदार- नाकाम हसरतों से भरा दिल 5. दराज -लंबी, तवील

6. कू-ए-यार -यार या प्रेयसी की गली (यानी अपने देश में)

 

( जैसा कि दर्शकों को मालूम है, अंग्रेजों ने बहादुर शाह ज़फर को , जो अंतिम मुग़ल बादशाह थे , देशनिकाला देकर रंगून भेज दिया था

 और वहीँ कुछ सालों बाद उनकी मृत्यु हो गई थी)

लबे-इजहार की जरूरत क्या है,
आप हूँ अपने दर्द की फरियाद।

-'जोश' मल्सियानी


1.लब- होंठ, ओष्ठ, अधर 2. इजहार- बोलना, व्यक्त करना

 

*****

लाई हयात, आई कजा, ले चली, चले,
अपनी खुशी न आए, न अपनी खुशी चले।
अच्छा तो है यहीं कि जहाँ में न दिल लगे,
लेकिन तो क्या करें न ये जब बेदिली चले।
दुनिया ने किसका राहे-फना में दिया है साथ,
तुम भी चले चलो यूँ ही जब तक चली चले।

-अब्राहम जौंक


1.हयात - जिन्दगी 2. कजा - मौत, मृत्यु, मरण

3.राहे-फना- मौत की राह


*****
लेके शबनम का मुकद्दर आये थे दुनिया में हम,
गुलशने-हस्ती में रो-रोकर गुजारी जिन्दगी।

-नरेश कुमार 'शाद

'
1.शबनम - ओस

 

*****

<< Previous  page -1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24-25-26-27-28-29-30-31-32-33-34-35-36-37-38-39-40-41-42-43-44-45-46-47-48-49-50-51-52-53-54-55-56-57-58   Next >>