अच्छी
सीरत को देखता है कौन,
अच्छी सूरत पै जान देते हैं सब।
-बिस्मिल भरतपुरी
1. सीरत - स्वाभाव ,आदत, प्रकृति
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अनगिनत लोगों ने
दुनिया में मुहब्बत की है,
कौन कहता है कि सादिक न थे जज्बे उनके,
लेकिन उनके लिए तश्हीर का सामान नहीं,
क्योंकि ये लोग भी अपनी तरह मुफलिस थे।
-साहिर लुधियानवी
1.सादिक–सच्चा 2.तश्हीर-विज्ञापन
3.मुफलिस-गरीब
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अब इससे क्या
गरज कि हरम है कि दैर,
बैठे हैं हम तो साया -ए-दीवार देखकर।
-रविश सिद्दीकी
1.हरम - खुदा का घर, काबा
2. दैर - बुतखाना, मूर्तिगृह,
मंदिर
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अब तराशा ही
नहीं जाता कोई पैकर नया,
आज भी पत्थर बहुत हैं आज भी आजिर बहुत।
1. पैकर-
(i)देह, शरीर, (ii) आकृति, शक्ल
2. आजिर - मूर्तिकार
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