अपनों की
दोस्ती ने सिखाया है यह सबक,
गैरों की दोस्ती भी इनायत से कम नहीं।
-'जोश' मल्सियानी
1.सबक - सीख, पाठ 2. इनायत -
मेहरबानी
*****
आज फूलों की बेगानगी देखकर,
मुझको कांटों से दामन सजाना पड़ा।
1.बेगानगी -
परायापन, अस्वजनता
*****
आप गैरों की
बात करते हैं हमने अपने भी आजमाए हैं,
लोग कांटों से बचके चलते हैं, हमने फूलों से जख्म खाए हैं।
-'बेताब' अलीपुरी
*****
'इकबाल' कोई महरम
अपना नहीं जहां में,
मालूम क्या किसी को दर्दे – निहाँ हमारा।
-मोहम्मद इकबाल
1.महरम - मित्र, दोस्त, राजदार
2.दर्द– निहाँ- छुपा हुआ दर्द
*****