अरमाँ तमाम
उम्र के सीने में दफ्न है,
हम चलते-फिरते लोग मजारों से कम नहीं।
-खलिश' बड़ौदवी
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अर्थियाँ सबकी
निकलती है घरों से लेकिन,
रोज घर आता हूँ मैं अपना जनाजा लेकर।
1.जनाजा - कफन में लिपटी हुई लाश या शव।
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अश्क बनकर
आई हैं वह इल्तिजाएं चश्म तक,
जिनको कहने के लिये होठों पर गोयाई नहीं।
-आनन्द नारायण 'मुल्ला'
1.इल्तिजा - प्रार्थना, दरखास्त
2.चश्म - आँख
3.गोयाई- बोलने की ताकत, वाकशक्ति।
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असीर करके हमें क्यों रिहा किया सैयाद,
वो हमसफीर भी छूटे वह बाग भी न मिला।
-'जलील' लखनवी
1.असीर - बंदी, कैदी 2.सैयाद -
बहेलिया, चिड़ीमार, शिकारी, आखेटक
3.
हमसफीर - बाग में एक साथ चहचहाने वाली
चिड़ियाँ
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असीराने-कफस को वास्ता क्या इन झमेलों
से,
चमन में कब खिजाँ आई, चमन में कब बहार आई।
-'नूह' नारवी
1.असीराने-कफस - पिंजड़े में कैद
(पंछी या परिन्दे)
2.खिजाँ- पतझड़ की ऋतु।
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