शेर-ओ-शायरी

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जिसे रौनक तेरे कदमों ने देकर छीन ली रौनक,
वो लाख आबाद हो, उस घर की वीरानी नहीं जाती।

-जिगर मुरादाबादी


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जी ढूँढ़ता है फिर वही फुर्सत के रात-दिन,
बैठें रहें तसव्वरे - जानाँ किये हुए।
-मिर्जा गालिब


1.तसव्वरे – जानाँ - प्रेमिका का खयाल

 

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जी भर के तड़प लेने दे उन्हें, रह-रह के उनको जलने दे,
ऐ शम्अ की लौ ये परवाने इक रात के मेहमाँ होते हैं।
-अलम मुजफ्फरनगरी

 

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जीना भी आ गया, मुझे मरना भी आ गया,
पहचानने लगा हूँ, तुम्हारी नजर को मैं।

-असमर गौण्डवी
 

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