शेर-ओ-शायरी

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जकड़ी हुई है इसमें मेरी सारी कायनात,
जो देखने में नर्म हैं तेरी कलाइयाँ।

-नदीम कासिमी


1.कायनात - संसार, दुनिया, ब्रहमांड

 

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जज्ब करले जो तजल्ली को वह दिल पैदा कर,
सहल है सीने को दागों से चरागाँ करना।

-असर लखनवी


1.जज्ब -आत्मासात, समाहितअवशोषित 2. तजल्ली -(i) प्रकाश,
आभा,

  नूर (ii) तेज, प्रताप, जलाल 3.चरागॉं - जलते हुए चरागों की कतारें ,

रौशन 

 

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जज्ब-ए-इश्क सलामत है तो इन्शा अल्लाह,
कच्चे धागे में चले आयेंगे सरकार बंधे।
-दाग


1.
जज्ब-ए-इश्क- दिल या प्रेम  की कशिश, प्रेमाकर्षण

2. इन्शा अल्लाह - यदि ईश्वर ने चाहा
 

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जफा उस पै करता है हद से जियादा,
जिसे यार अहले - वफा जानता है।
-मीरतकी मीर


1.जफा -जुल्म, अत्याचार 2. अहले–वफा - वफादार,

वफ़ा निभाने वाला  

 

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