शेर-ओ-शायरी

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आलम न मुझसे पुछिए मेरे खयाल का,
आइना बन गया हूँ किसी के जमाल का।
-शादाँ व 'ख्याली'


1.आलम - दशा, हालत, स्थिति 2.जमाल - (i) सौन्दर्य, रूप, सुन्दरता (ii) शोभा, छटा, छवि (iii) मुखकांति, मुखाभा, तल्अत

 

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आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।

-दाग


1.जाहिद - संयमी, विषय-विरक्त, संयम-नियम और जप-तप करने वाला व्यक्ति, 2.बंदगी - पूजा, इबादत
 

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आशिकों में और उसका नाम रौशन हो गया,
शम्अ ने सोचा था मिट जायेगा परवाने का नाम।

-बिस्मिल भरतपुरी

 

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आह को चाहिए इक उम्र असर होने तक,
कौन जीता है तेरी जुल्फ के सर होने तक।
आशिकी सब्र - तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ, खूने-जिगर होने तक।
हमने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन
खाक हो जायेंगे हम तुमको खबर होने तक
गमे-हस्ती का 'असद' किससे जुज-मर्ग इलाज,
शम्अ हर रंग में जलती है, सहर होने तक।
-मिर्जा गालिब


1.सर - सुलझना 2. सब्र -तलब - जिसमें सब्र (धीरज, धैर्य) की

 आवश्यकता हो। 3.बेताब - (i) अधीर, बेसब्र (ii) ब्याकुल, बेचैन 4.तगाफुल - उपेक्षा, बेतवज्जुही 5. जुज-मर्ग - मौत के अलावा 6.सहर - सुबह, सबेरा, प्रातःकाल, भोर
 

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