शेर-ओ-शायरी

बाकी सिद्दकी (Baaqi Siddqui)  Next >>

आने लगा हयात को अंजाम का खयाल,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।

1.
हयात - जिन्दगी, जीवन 2.दाम - जाल, पाश, फंदा
 

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उनसे नजरें मिला के देखो,
यह जहाँ कितना खूबसूरत है।

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किसी ने तुझे आज क्या कह दिया,
नजर आ रहे हो पराया - पराया।
 

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कुछ लग्जिशों से काम जहाँ के संवर गये,
कुछ जुरअतें हयात पै इल्जाम बन गईं।

1.लग्जिश - (i) फिसलन (ii) त्रुटि, भूल, गलती (iii) अपराध, कुसूर
2.
जुरअत - (i) साहस, हिम्मत (ii) उत्साह, हौसला (iii) घृष्टता, दुसाहस, बेबाकी 3.हयात - जिन्दगी 4. इल्जाम - (i) दोष, अपराध, जुर्म (ii) कोई बात अपने ऊपर या दूसरे पर आरोपित करना
 

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