आने लगा हयात को अंजाम का खयाल,
जब आरजूएं फैलकर इक दाम बन गईं।
1.हयात
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जिन्दगी,
जीवन
2.दाम
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जाल,
पाश,
फंदा
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उनसे नजरें मिला के देखो,
यह जहाँ कितना खूबसूरत है।
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किसी ने तुझे आज क्या कह दिया,
नजर आ रहे हो पराया - पराया।
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कुछ लग्जिशों से काम जहाँ के संवर गये,
कुछ जुरअतें हयात पै इल्जाम बन गईं।
1.लग्जिश
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(i)
फिसलन
(ii)
त्रुटि,
भूल,
गलती
(iii)
अपराध,
कुसूर
2.
जुरअत
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(i)
साहस,
हिम्मत
(ii)
उत्साह,
हौसला
(iii)
घृष्टता,
दुसाहस,
बेबाकी
3.हयात
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जिन्दगी 4.
इल्जाम -
(i)
दोष,
अपराध,
जुर्म
(ii)
कोई
बात अपने ऊपर या दूसरे पर आरोपित करना
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