शैख की दावत में मय का काम क्îया,
एहतियातन कुछ मंगा ली जाएगी।
-'अकबर' इलाहाबादी
1.शैख
- धर्मोपदेशक, महात्मा
2.मय
- शराब
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साकी तेरी नजर की क्या सियाहकारियां हैं,
मयख्वार होश में हैं जाहिद बहक रहे हैं।
-महेश चन्द्र 'नक्श'
1.सियाहकारी
- जादूगरी
2.मयख्वार
- शराबी
3. जाहिद
- संयम, नियम और जप-तपकरने वाला व्यक्ति, विषय-विरक्त
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हंगामा
है क्यो बरपा थोड़ी-सी जो पीली है,
डाका तो नहीं डाला, चोरी तो नहीं की है।
नातजरूबाकारी से वाइज की ये बातें हैं,
इस रंग को क्या जाने, पूछो तो कभी पी है।
-'अकबर' इलाहाबादी
1.वाइज
- धर्मोपदेशक, सदुपदेशक
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हमसे सागर न
छीन ऐ जाहिद,
इस इनायत से कहर बेहतर है।
हश्र तक जिसको पी के गम झेलें,
इस अमृत से जहर बेहतर है।
-'साहिर' होशियारपुरी
1.सागर –
पियाला 2.जाहिद - संयम, नियम और
जप-तप करने वाला व्यक्ति
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हुआ है चार सिजदों
पर यह दावा जाहिदों तुमको,
खुदा ने क्या तुम्हारे हाथ जन्नत बेच डाली है।
-मिर्जा दाग
1.जाहिद - संयमी, विषय-विरक्त,
संयम-नियम और जप-तप करने वाला व्यक्ति
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