शेर-ओ-शायरी

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मस्जिद में बुलाते हो हमें जाहिदे-नाफहम,
होता अगर कुछ होश तो मैखाने न जाते।
-'अमीर'


1.जाहिदे-नाफहम - नादान धर्मोपदेशक

 

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यह मौसम और इस मौसम में तौबा,
जनाबे-शैख आप क्या फरमा रहे हैं।
-'सोहन लाल 'साहिर'


1.तौबा – परहेज 2.जनाबे-शैख - धर्मोपदेशकजी
 

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रिन्दाने-जहां से ये नफरत, ऐ हजरते-वाइज क्या कहना,
अल्लाह के आगे बस न चला, बंदों से बगावत कर बैठे।
-फैज अहमद 'फैज'


1.रिन्दाने-जहां - मैकशी की दुनिया यानी शराब पीने वाले

2.हजरते-वाइज - धर्मोपदेशक महोदय

 

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लड़ते हैं जाके बाहर ये शैख-ओ-बिरहमन,
पीते हैं मयकदे में सागर बदल बदल कर।
-माइल देहलवी


1.सागर - पियाला


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