शेर-ओ-शायरी

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ऐ शम्अ तेरी उम्र तवाई है एक रात,
रोकर गुजारा दे इसे, या हँसकर गुजार दे।

-अब्राहम जौक


1. तवाई - तवील, लंबी

 

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ऐ दिल जो हो सके तो लुत्फे-गम उठा ले,
तन्हाइयों में रो ले, महफिल में मुस्कुरा ले।
जिस दिन यह हाथ फैले अहले-करम के आगे,
ऐ काश उसके पहले हमको खुदा उठा ले।
-'शमीम' जयपुरी


1. अहले-करम - मेहरबानी करने वाले

 

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कट गई यह बहरे-गमे मौजों से हँसते-खेलते,
बहते-बहते देख आखिर आ लगे साहिल से हम।
- फिराक गोरखपुरी


1. बहरे-गम - गमों का सागर 2. मौज - लहर, तरंग

3. साहिल - तट, किनारा

 

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