शेर-ओ-शायरी

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कितनी बेकैफ कट रही है हयात,
एक मुद्दत से दिल उदास नहीं।

-कृष्ण मोहन'मोहन'


1.बेकैफ - आनन्दरहित, बिना मस्ती के, जिसमें मस्ती न हो

2. हयात - जिन्दगी


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कुछ लोग जमाने में ऐसे भी होते है,
महफिल में जो हंसते हैं तन्हाई में रोते हैं।

-सागर
 

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कुछ हसीं ख्वाब और कुछ आँसू,
उम्र भर की मेरी यही कमाई है।
-मजहर इमाम


1. ख्वाब - (i) सपना  (ii) नींद


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कौन हंस-हंस के जिया है और कौन गाता है मर्सिया,
यह तो वो बतायेंगे, जिन्होने मुस्कुराकर विष पिया है।

 

1.मर्सिया -शोकगीत

 

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