शेर-ओ-शायरी

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गम और खुशी में फर्क न महसूस हो जहाँ,
मैं दिल को उस मुकाम पै लाता चला गया।
बर्बादियों का सोग मनाना फिजूल था,
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया।

-'साहिर' लधियानवी
 

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गम नहीं तो लज्जते-शादी नहीं,
बेअसीरी लुत्फे -आजादी नहीं।

-असर लखनवी
1.लज्जत - (i) स्वाद, मजा (ii) आनन्द, लुत्फ 2.शादी - हर्ष, आनन्द 3.बेअसीरी - बिना कैद


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गमे-दौराँ से बस इतना तअल्लुक है'अदम' मेरा,
गमे-दौराँ की जानिब मुस्करा के देख लेता हूँ।

-मिर्जा गालिब


1. तअल्लुक - सम्बन्ध 2. जानिब - ओर

गमे-हस्ती का 'असद' किससे जुज-मर्ग इलाज,
कि शम्अ हर रंग में जलती है सहर होने तक।

-मिर्जा गालिब


1. जुज-मर्ग - मौत के अलावा 2. सहर - सुबह, सबेरा

 

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