शेर-ओ-शायरी

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फैसला होता है नेकी -ओ-बदी का हरदम,
दिल को
इस सीने में छोटी-सी अदालत समझो।

 

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बेचैनियाँ समेटकर सारे जहान की,
जब कुछ न बन सका तो मेरा दिल बना दिया।

 

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मैं परीशाँ था, परीशाँ हूँ, नई बात नहीं,
आज वो भी
हैं परीशान, खुदा खैर करे।

-उमर अंसारी

 

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मर्तबा पेशे-खुदा होता है उतना ही बुलंद,
जिस कदर चलता है इन्साँ इन्साँ से झुककर।

1.मर्तबा - (i) प्रतिष्ठा, इज्जत (ii) पद, दर्जा 2. पेशे-खुदा - ईश्वर के सामने
 

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