तमाम उम्र इसी एहतियात में गुजरी,
कि आशियाना कहीं शाखे-गुल पर बार नहीं।
-अंजुमन नाजिमी
1.शाखे-गुल - फूलों की डाली 2.बार - बोझ, भार
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तही दस्तों का
दर्जा अहले - दौलत से जियादा है,
सुराही सर झुका देती है जब खाली जाम आता है।
1.तही -
खाली 2.दस्तों - हाथों
3. अहले–दौलत - दौलत वाले
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तरदामनी पै शैख हमारी न जाइओ,
दामन निचोड़ दे तो फरिश्ते वुजू करें।
1.तरदामनी - दामन बचाकर न निकल
सकना,
यानी पाप या गुनाह में लिप्त होना
2. शैख - धर्मगुरू, धर्माचार्य
(ii) कुल का नायक
3. वुजू - नमाज के लिए नियमपूर्वक
हाथ-पांव और मुंह धोना
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तुम अपना रंजोगम अपनी परीशानी मुझे दे
दो,
मुझे अपनी कसम, यह दुख, यह हैरानी मुझे दे दो।
मैं देखूं तो सही, यह दुनिया तुझे कैसे
सताती है,
कोई दिन के लिये तुम अपनी निगहबानी मुझे दे दो।
ये माना मैं किसी काबिल नहीं
हूँ
इन निगाहों में,
बुरा क्या है अगर इस दिल की वीरानी मुझे दे दो।
-साहिर लुधियानवी
1. निगहबानी - देखरेख
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