शेर-ओ-शायरी

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यूँ मुतमइन आये हैं खाकर जिगर पै चोट,
जैसे वहाँ गये थे इसी मुद्दआ के साथ।

1.
मुतमइन - (i) संतुष्ट (ii) आनन्दपूर्वक, खुशहाल
 

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रहबर या तो रहजन निकले या हैं अपने आप में गुम,
काफले वाले किससे पूछें किस मंजिल तक जाना है।
 

1.रहजन -  डाकू, लुटेरा

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वफा पर मिटने वाले जान की परवा नहीं करते,
वह इस बाजार में सूदो-जियो देखा नहीं करते।

1.
सूदो-जियो - लाभ-हानि

 

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वह मर्द नहीं जो डर जाये, माहौल के खूनी खंजर से,
उस हाल में जीना लाजिम है जिस हाल में जीना मुश्किल है।

1.
खंजर - तलवार
 

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