शेर-ओ-शायरी

 बेताब अलीपुरी (Betab Alipuri)

   आप गैरों की बात करते हैं, हमने अपने भी आजमाए हैं,
लोग कांटों से बचके चलते है, हमने फूलों से जख्म खाए हैं।
 

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कल जो अपने थे अब पराये हैं, क्या सितम आसमाँ ने ढाये हैं,
      दिल दुखा होंठ मुस्कराये हैं, हमने ऐसे भी गम उठाये हैं।

 

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मैंने पी ली तेरी निगाहों से,
  लोग  कैसी शराब  लाये हैं।
 

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   हिज्र की शब और तन्हाई,
न आप आये, न मौत आई है।


1.
हिज्र - विरह, वियोग 2.शब -  रात

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