फितरत के हसीं नज्जारों में, पुरकैफ
खजाने और भी हैं,
मैखाना अगर वीराँ है तो क्या, रिन्दों के ठीकाने और भी हैं।
-'शकील' बदायुनी
1.फितरत- (i) प्रकृति, कुदरत (ii) स्वभाव, आदत
2. पुरकैफ- भरपूर
मस्ती
से भरा हुआ 3. मैखाना- शराबखाना 4. रिन्द- शराबी
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फितरत गुलो-बुलबुल की जो थी, वही अब भी है,
सौ बार खिजाँ आयी, सौ बार बहार आई।
1.फितरत - स्वभाव, आदत 2. खिजाँ
- पतझड़ की ऋतु
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फिर देख उसका
रंग निखरता है किस तरह,
दोशीजए - खिजाँ को खिताबे - बहार दे।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
1.दोशीजए–खिजाँ- पतझड़ रूपी जवान और अल्हड़ कन्या
2. खिताब - संज्ञा, उपाधि, नाम
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फूल चुनना भी अबस, सैरे-बहारां भी अबस,
दिल का दामन ही जो कांटों से बचाया न गया।
-मुईन अहसन 'जज्बी'
1.अबस - व्यर्थ
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