शेर-ओ-शायरी

<< Previous    इन्तिजार  (Wait)   Next >>

उनकी वह आमद-आमद है, अपना यहाँ ये आलम,
इक रंग जा रहा है, इक रंग आ रहा है।

-जिगर मुरादाबादी


1.आमद-आमद - किसी के आगमन की धूमधाम, किसी के आने की खबर

 

*****
 


उनके आने की बंधी थी, आस जब तक हमनशीं,
सुबह हो जाती थी अक्सर जानिबे - दर देखते।

-असर लखनवी


1.हमनशीं - साथ बैठने वाला, मित्र 2.जानिबे–दर - दरवाजे की ओर

 

*****


उम्रे-दराज मॉंगकर लाये थे चार दिन
दो आरजू में कट गये, दो इन्तिजार में
कितना है बदनसीब 'जफर' दफ्न के लिये
दो गज जमीं भी न मिली कू-ए-यार में।

-बहादुर शाह 'जफर'


1. दराज - लंबी, तवील 2. कू-ए-यार - प्रेमिका की गली

 

*****


उम्र कैसे कटेगी 'सैफ' यहाँ,
रात कटती नजर नहीं आती।

-सैफ

 

*****

कभी - कभी तो बहुत इन्तिजार रहता है,
एक ऐसे शख्स का जो मुझे जानता भी नहीं।

-मंजूर हाशमी

 

*****

 

    << Previous  page - 1 - 2 - 3 - 4 - 5 - 6 - 7 - 8   Next >>