पुरकैफ किस
तरह है सितमगर की गुफ्तगू,
सागर छलक रहा है मये-खुशगवार का।
-'असर' लखनवी
1.पुरकैफ - नशे मे चूर, मस्त,
मदभरी,नशीली 2.सितमगर- सितम ढाने
वाला,जालिम 3.गुफ्तगू -
वार्तालाप, बात-चीत
4.सागर - शराब पीने का गिलास, पान-पात्र
5.खुशगवार - जो मन को अच्छा लगे, मनोवांछित, रूचिकर
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बात करने में फूल झड़ते हैं, बर्क गिरती है मुस्कराने में,
नजरें जैसे फराखदिल साकी खुम, लुढाये मैखाने में।
-'अख्तर' अंसारी
1.बर्क - बिजली, तड़ित, चपला
2.फराखदिल - दिल खोलकर खाने-खिलाने या
पीने-पिलाने वाला, दरियादिल 3.खुम -
घड़ा, शराब रखने का मटका
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यह बात, यह तबस्सुम, यह नाज, यह निगाहें,
आखिर तुम्हीं बताओ क्यों कर न तुमको चाहें।
-'जोश' मलीहाबादी
1.तबस्सुम - मुस्कान, मुस्कुराहट,
मंदहास, स्मित
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यूँ मुस्कुराये
जान-सी कलियों में पड़ गई,
यूँ लबकुशा हुए कि गुलिस्ताँ बना दिया।
-'असगर' गौण्डवी
1.लबकुशा - बात करता हुआ, बात करने वाला,
मुंह खोलना
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हर इक बात पै कहते हो तुम कि तू क्या है,
तुम्हीं कहो कि यह अंदाजे-गुफ्तगू क्या है?
-मिर्जा 'गालिब'
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