उनके रूखसार पै बहते हुए आंसू तौबा,
हमने शोलों पै मचलती हुई शबनम देखी।
1.रूखसार - गाल, कपोल 2.शबनम -
ओस, आकाश-जल
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उसका सरापा मुझसे पूछो,
चेहरा ही चेहरा पाँव से सर तक।
-फिराक गोरखपुरी
1.सरापा - आपादमस्तक, सर से पाँव तक
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कब तक छुपाओगे रूखे-जेबां नकाब में,
बर्के-जमाल रह नहीं सकती हिजाब में।
-'दिल' शाहजहाँपुरी
1.रूखे-जेबा - सुन्दर मुखड़ा
2.बर्के-जमाल - सौन्दर्य की बिजली
3.हिजाब - पर्दा, ओट, आड़
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क्यों जल गया न ताब-ए-रूख-ए-यार देखकर,
जलता हूँ अपनी ताकत-ए-दीदार देखकर।
-मिर्जा गालिब
1.ताब-ए-रूख-ए-यार
- माशूक या प्रेयसी
के चेहरे की आभा या चमक
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