खुदी
की इब्तिदा यह थी कि अपने आप में गुम थे,
खूदी की इन्तिहा ये है कि खुदा को याद करता हूँ।
1.खुदी - यह भाव कि बस हमीं हम है,
अहंकार, गर्व, घमंड
2.इब्तिदा - शुरूआत, आरम्भ
*****
खुलूसे-दिल से हो सिज्दे तो उन सिज्दों
का क्या कहना,
सरक आया वहीं काबा, जहां हमने जबीं रख दी।
1.खुलूसे-दिल से -
सच्चे दिल से, निष्कपट दिल से
2. काबा - मक्के की एक इमारत जिसे
मुसलमान ईश्वर का घर मानते हैं 3. जबीं -
माथा, भाल
*****
छोड़ा नहीं
खुदी को, दौड़े खुदा के पीछे,
आसां को छोड़ बंदे, मुश्किल को ढूंढ़ते हैं।
1.खुदी - अहंकार, अभिमान, यह भाव
कि हमीं हम है
*****
'जफर' आदमी
उसको न जानिएगा,
हो वो कैसा ही साहिबे-फहमो-जका।
जिसे ऐश में यादे - खुदा न रहा,
जिसे तैश में खौफे - खुदा न रहा।
-'जफर'
1.साहिबे-फहमो-जका - समझ-बूझ वाला,
विवेकशील, समझदार
2. ऐश - भोग-विलास, खाने-पीने का आनन्द, विषयवासना
3.तैश -
क्रोध, कोप, गुस्सा
*****