अदा निगाहों
से होता है फर्जे-गोयाई,
जुबां की हद से जब शौके-बयां गुजरता है।
-निहाल सेहरारवी
1.फर्जे-गोयाई - बात करने या बोलने का
फर्ज
2.शौके-बयां - चाहत का बयान करना
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इन्ही में खींचकर
रूहे-मुहब्बत मैने भरे हैं,
मेरा अश्यार देखेंगे मेरा दिल देखने वाले।
-जिगर मुरादाबादी
1.अश्यार - शैर
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कुदरत को
नापसंद है सख्ती बयान में,
पैदा हुई न इस लिये हड्डी जबान में।
1. बयान -
बातचीत, वार्तालाप
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तवारीखों में कुछ ऐसे भी मंजर हमने
देखे है,
कि लम्हों ने खता की थी, और सदियों ने सजा पाई।
1. तवारीख -
इतिहास
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