शेर-ओ-शायरी

<< Previous  आँखें   (Eyes)  Next >>

मुझे जिस दम खयाले-नर्गिसे-मस्ताना आता है,
बड़ी मुश्किल से काबू में दिले-दीवाना आता है।
-जलील मानिकपुरी


1.खयाले-नर्गिसे-मस्ताना - मदभरी या नशीली आँखों का खयाल

 

*****

मैकदे लाख बंद करें जमाने वाले,
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले।

*****


मैं उम्र भर 'अदम' न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'

 

*****

मैंने पी ली तेरी निगाहों से,
लोग कैसी शराब लाये हैं।
-'बेताब' अलीपुरी
 

*****
 

  << Previous   page - 1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19  Next >>