मुझे जिस दम खयाले-नर्गिसे-मस्ताना आता है,
बड़ी मुश्किल से काबू में दिले-दीवाना आता है।
-जलील मानिकपुरी
1.खयाले-नर्गिसे-मस्ताना - मदभरी
या नशीली आँखों का खयाल
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मैकदे लाख बंद करें जमाने वाले,
शहर में कम नहीं आंखों से पिलाने वाले।
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मैं उम्र भर 'अदम' न कोई दे सका जवाब,
वह इक नजर में, इतने सवालात कर गये।
-अब्दुल हमीद 'अदम'
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मैंने पी ली तेरी निगाहों से,
लोग कैसी शराब लाये हैं।
-'बेताब' अलीपुरी
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