वह शोले से अक्सर रहे हमकनार,
जो फूलों से दामन बचाकर चले।
-रविश सिद्दकी
1.हमकनार - एक ह़ी पंक्ति में खड़े हुए,
आलिंगित, बगलगीर, एक दूसरे को गोद में लेना
2.दामन - कुरते या अंगरखे आदि का वह
भाग जो लटकता रहता है,आंचल
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वही इन्सां जिसे
सरताजे-मख्लूकात होना था,
वही अब सी रहा है, अपनी अज्मत का कफन साकी।
-जिगर मुरादाबादी
1.सरताजे-मख्लूकात - (i) प्राणियों में मुर्धन्य या शिरोमणि या सबसे
अच्छा (ii) प्राणियों का स्वामी मालिक, नायक या सरदार 2. अज्मत - (i)
बड़प्पन, अहमियत, महानता (ii) सम्मान, आदर, इज्जत
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वही जिन्दगी है
लेकिन जिगर यह हाल है अपना,
कि जैसे जिन्दगी से जिन्दगी कम होती जाती है।
-जिगर मुरादाबादी
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वही हम थे कि
रोतों को हंसा देते थे,
वही हम हैं कि थमता नहीं आँसू अपना।
-दाग
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