शेर-ओ-शायरी

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वह शोले से अक्सर रहे हमकनार,
जो फूलों से दामन बचाकर चले।
-रविश सिद्दकी


1.हमकनार - एक ह़ी पंक्ति में खड़े हुए, आलिंगित, बगलगीर, एक दूसरे को गोद में लेना
2.दामन - कुरते या अंगरखे आदि का वह भाग जो लटकता रहता है,आंचल


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वही इन्सां जिसे सरताजे-मख्लूकात होना था,
वही अब सी रहा है, अपनी अज्मत का कफन साकी।


-जिगर मुरादाबादी

 

1.सरताजे-मख्लूकात - (i) प्राणियों में मुर्धन्य या शिरोमणि या सबसे अच्छा (ii) प्राणियों का स्वामी मालिक, नायक या सरदार 2. अज्मत - (i) बड़प्पन, अहमियत, महानता (ii) सम्मान, आदर, इज्जत
 

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वही जिन्दगी है लेकिन जिगर यह हाल है अपना,
कि जैसे जिन्दगी से जिन्दगी कम होती जाती है।

-जिगर मुरादाबादी


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वही हम थे कि रोतों को हंसा देते थे,
वही हम हैं कि थमता नहीं आँसू अपना।

-दाग
 

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