कुछ तो मिल जाये लबे-शीरीं से,
जहर खाने की इजाजत ही सही।
1.लबे-शीरीं
-
धुर या मीठे होंठ
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तुम तसल्ली न दो पास बैठे रहो,
वक्त कुछ मेरे मरने का टल जायेगा।
ये क्या कम है मसीहा के रहने से ही,
मौत का भी इरादा बदल जायेगा।
1.मसीहा
-
इसा
मसीह जो दीन- दुखियों
का
दुख दूर करते थे और जो मुर्दों को जिला देते थे।
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तू गम दे
या खुशी,
तुझे
इख्तियार है,
हम
बेनियाज हो गये, दामन
पसारकर।
1.बेनियाज
-
निस्पृह,
जिसे
किसी से कुछ लेने की इच्छा न हो
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मैंने
खुद अपना
सफीना नज्रे-तूफां कर दिया,
यास
की नजरों से तकता ही रहा साहिल मुझे।
1.सफीना
-
नाव,
नौका,
कश्ती
2.
नज्रे-तूफां -
तूफान की भेंट
3.
यास -
निराशा
4.
साहिल
-
किनारा,
तट
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यह
मस्तियों का रंग है जोशे-शबाब में,
गोया
कि
वह नहाए
हुए
है शराब मे।
1.जोशे-शबाब
- जवानी के जोश में,
जवानी के जोर या युवावस्था के उमंग मे
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