अभी तो
बहुत दूर है तुमको जाना,
है पुरपेच राहों से होकर गुजरना।
संभलकर है गिरना,
है गिरकर संभलना,
कहाँ तक चलोगे किसी के सहारे।
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खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।
1.तौफीक
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(i)
दैव
योग से
ऐसे
कारण पैदा हो जाना जिससे अभिलषित वस्तु की प्राप्ति में सुगमता हो।
ईश्वर की
कृपा,
दैवानुग्रह (ii)
सामर्थ्य,
शक्ति
(iii)
योग्यता,
पात्रता,
अहलियत
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खेलना जब उनको तुफानों से आता ही न था,
फिर वह कश्ती के हमारे नाखुदा क्यों हो गये।
1.नाखुदा
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मल्लाह,
नाविक
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जो गम हद से जियादा हो,
खुशी नजदीक होती है,
चमकते हैं सितारे रात जब तारीक होती है।
1.तारीक
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अंधेरी
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