शेर-ओ-शायरी

 अफसर मेरठी (Afsar Merathi)  Next >>

अभी तो बहुत दूर है तुमको जाना,
है पुरपेच राहों से होकर गुजरना।
संभलकर है गिरना, है गिरकर संभलना,
कहाँ तक चलोगे किसी के सहारे।
 

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  खुदा तौफीक देता है उन्हें जो यह समझते हैं,
कि खुद अपने ही हाथों से बना करती हैं तकदीरें।

1.
तौफीक - (i) दैव योग से ऐसे कारण पैदा हो जाना जिससे अभिलषित वस्तु की प्राप्ति में सुगमता हो। ईश्वर की कृपा, दैवानुग्रह (ii) सामर्थ्य, शक्ति (iii) योग्यता, पात्रता, अहलियत
 

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खेलना जब उनको तुफानों से आता ही न था,
फिर वह कश्ती के हमारे नाखुदा क्यों हो गये।

1.
नाखुदा -  मल्लाह, नाविक

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जो गम हद से जियादा हो, खुशी नजदीक होती है,
   चमकते हैं सितारे रात जब तारीक होती है।


1.तारीक - अंधेरी

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