शेर-ओ-शायरी

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चन्द कलियाँ निशात की चुनकर,
मुद्दतों महवे- यास रहता हूँ।
तेरा मिलना खुशी की बात सही,
मगर तुझसे मिलकर उदास रहता हूँ।

-'साहिर' लुधियानवी


1.निशात - आनन्द, हर्ष, खुशी 2.महवे-यास - निराशा में डूबा हुआ

 

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चार दिन की बात है क्या दोस्ती क्या दुश्मनी,
काट दो इनको खुशी से यार हँसते-हँसते।

-गुमनाम भरतपुरी


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जब कोई हद हो मुअय्यन तो शौक, शौक नहीं,
वह कामयाब है जो कायमाब हो न सका।

-'आर्जू' लखनवी


1.हद - (i) पराकाष्ठा, किनारा अखीर (ii) सीमा (iii) छोर

2.मुअय्यन - निश्चित, नियत, मुकर्रर
 

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जब खाक ही होना था मुझको तो खाके-रहे-सहरा होता,
इक कोशिशे-पैहम तो होती, उड़ता होता, गिरता होता।

-जमील मजहरी


1.खाक - (i) धूल, रज, गर्द (ii) मिट्टी ,जमीन

2.खाके-रहे-सहरा - मरूस्थल या रेगिस्तान के रास्ते की धूल

 

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