शेर-ओ-शायरी

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कफन बांधे हुए सर से आये हैं वर्ना,
हम और आप से इस तरह गुफ्तगू करते।
जवाब हजरते-नासेह को हम भी कुछ देते
जो गुफ्तगू के तरीके से गुफ्तगू करते।
-'अजीज' लखनवी

1. हजरत - किसी बड़े व्यक्ति के नाम से पहले सम्मानार्थ लगाया जाने वाला शब्द 2. नासेह - नसीहत करने वाला, सदुपदेशक

 

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कब तक छुपाओगे रूखे-जेबां नकाब में,
बर्के-जमाल रह नहीं सकती हिजाब में।
-'दिल' शाहजहाँपुरी

1. रूखे-जेबां - सुन्दर मुखड़ा 2.बर्के-जमाल - सौन्दर्य की बिजल

3.हिजाब - पर्दा, ओट, आड़

 

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कभी उन मदभरी आंखों से दिया था शराब,
आज तक होश नहीं, होश नहीं, होश नहीं।
-'जिगर' मुरादाबादी

 

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कभी नेकी भी उसके जी में गर आ जाए है मुझसे,
जफाएं करके अपनी याद शर्मा जाए है मुझसे।

-मिर्जा 'गालिब'

1. जफा - जुल्म, सितम, अत्याचार

 

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