कनाअत न कर आलमे-रंगो-बू पर,
चमन और भी, आशियां और भी है।
तू शाही है परवाज है काम तेरा,
तेरे सामने आसमां और भी है।
-मोहम्मद इकबाल
1. कनाअत - संतोष 2. आलम -
जगत्, संसार, दुनिया 3. रंगो-बू
- फूलों का रंग और उनका सुगंध (या
दुनिया की रंगीनियाँ) 4. शाही -
बाज पक्षी, श्येन 5.परवाज -
उड़ान
*****
कनारों से मुझे ऐ
नाखुदा तुम दूर ही रखना,
तहाँ लेकर चलो तूफां जहाँ से उठने वाला है।
1. नाखुदा -
मल्लाह, नाविक, कर्णधार
*****
कफस में खींच ले जाए
मुकद्दर या निशेमन में,
हमें परवाजे-मतलब है, हवा कोई भी चलती हो।
-सीमाब अकबराबादी
1. कफस - पिंजड़ा, कारागार 2.
निशेमन - घोंसला, नीड़
3. परवाजे - उड़ान
*****
कभी मौत कहती है
अलहजर, कभी दर्द कहता है रहम कर,
मैं वह राह चलता हूँ पुरखतर कि जहाँ फना का गुजर नहीं।
-असर लखनवी
1.अलहजर - बस करो, बचाओ 2. रहम
- दया, कृपा, मेहरबानी, इनायत
3.पुरखतर - भीषण, भयानक, अत्यन्त
खतनराक
4. फना - (i) मृत्यु, मौत (ii) विनाश, बर्बादी
*****
<< Previous page -1-2-3-4-5-6-7-8-9-10-11-12-13-14-15-16-17-18-19-20-21-22-23-24-25-26-27-28-29-30-31-32-33-34-35-36 Next >>