आज फूलों की
बेगानगी देखकर,
मुझको काँटों से दामन सजाना पड़ा।
1. बेगानगी - परायापन, अनजानापन,
अस्वजनता
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आता नहीं खयाल अब अपना भी ऐ 'जलील',
इक बेवफा की याद ने सब कुछ भुला दिया।
-'जलील' मानिकपुरी
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आप कहते हैं
बार-बार नहीं,
हमको हाँ का भी एतिबार नहीं।
-'रविश' सिद्दकी
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आप गैरों की बात
करते हैं, हमने अपने भी आजमाए हैं,
लोग कांटों से बचके चलते है, हमने फूलों से जख्म खाए हैं।
-'बेताब' अलीपुरी
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